लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ
प्रिय सखी,
कैसी हो
।मै अच्छी हूं।तुम से पहले भी बताया था ना कि हमें गर्मी बहुत बेकार लगती है।बस 5 मई को कुछ याद करके अक्सर उस तारीख को आंखें नम हो जाती है ।वो क्यों तो आगे तुम स्वयं ही पढ़ लो।
आजकल थोड़ी बरसात होने से मौसम मे गर्मी से राहत महसूस हो रही है।वरना तो इतनी गर्मी थी कि शरीर से भांप निकलती थी।
शब्द टीम से एक उम्मीद तो हम रख ही सकते है कि वो ये इंगित करें कि पाठक संख्या तो हमारी ज्यादा थी पर फिर भी अच्छे लेखन के लिए सर्वश्रेष्ठ दो जनों मे वो जगह नही बना पाई। लेकिन हमारा हक छीन कर किसी ओर को देना और फिर हमारे लिए सांत्वना के दो शब्द भी पटल पर ना कहना ।ये उचित नही है।मन उदास है । कुछ कुछ बातें याद आ रही है।
आज ही के दिन हम मां बन के भी मातृत्व का सुख नही भोग पाये थे। क्यों कि हमारा पहला बेटा जो नौ महीने कोख मे पला और जन्म से पहले ही भगवान को प्यारा हो गया।हाई ब्लडप्रेशर के कारण बच्चे का अंदर ही दम घुट गया।हम रोते ही रह गये। डिलीवरी के बाद हमने डाक्टर को कहा,"हम चाहे बेजान मिट्टी की मां बनी हो पर हमे उसका चेहरा दिखा दो। डाक्टर दिखा नही रहे थे।हमने बार बार कहा जब जाकर उन्होंने मेरे मृत पहली संतान का चेहरा दिखाया ।मै भगवान से बहुत लडी।कि तुम मुझे देते ही ना ।दे के ले क्यों लिया।पर फिर भगवान ने ऐसी कृपा करी कि आज दो बेटों की मां कहलाती हूं।ये पुरुष भी कितने भुलक्कड़ या संगदिल होते है। हमारे पतिदेव को तो दो बेटे मिल गये उन्हें शायद याद ही ना हो आज का दिन पर एक मां की सौ संतान हो जाए पर वो अपनी वो औलाद जो उसे मिले और बिछुड जाए और चाहे वो कैसी भी हो नही भूलती। अच्छा सखी अब आंखें नम हो गरी है। चलती हूं अलविदा।